दीक्षा के बाद विहार करते हुए एक बार भगवान (Bhagwan Mahaveer) कौशाम्बी नगरी में पधारे जहाँ महारानी त्रिशला (महावीर की माता) की सबसे छोटी बहन महासती चन्दना को एक सेठानी सुभद्रा ने सिर मुंडवा कर बेड़ियों में जकड़कर रखा था। महामुनि को आया देख चन्दना के मन में उन्हें आहार देने की उत्कट अभिलाषा जागृत हो गई। महावीर के पधारते ही चन्दना की समस्त बेड़ियाँ टूट गर्इं, सिर पर सुन्दर केश आ गये और शरीर सुन्दर वस्त्र-आभूषणों से अलंकृत हो गया, मिट्टी का सकोरा सोने का पात्र बन गया और कोदों का भात मीठी खीर के रूप में बदल गया। चंदना ने अत्यन्त भक्तिभावपूर्वक महामुनि को आहार दान दिया, पुन: स्वर्ग से पंचाश्चर्यों की वृष्टि होने लगी। उसके बाद चन्दना का अपने माता-पिता एवं परिवार के साथ मिलन हुआ।
Once Bhagwan Mahaveer came to Kaushambi, where Mahasati Chandna, the younger sister of queen Trishala (the mother of Mahavira) was prisoned by Sethani Subhadra. Seeing Mahamuni Mahavira, Chandna developed the keen desire to give Ahar to Him. As soon as Mahavira came to her, all her shackles were broken, beautiful hairs developed on her tonsured head, attractive garments & jewellery beautified her body, her earthen pot was converted into the golden bowl and the low quality rice (Kodo) became delicious milk food (Kheer) by the impact of her dedication for Mahavira. Chandna gave Ahar to Mahamuni with full devotion and again the deities showered jewels, flowers etc. from the heaven.