संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज22 साल की उम्र में संन्यास लेकर दुनिया को सत्य-अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले Acharya Shri Vidyasagar Maharaj की एक झलक पाने लाखों लोग मीलों पैदल दौड़ पड़ते हैं। उनके प्रवचनों में धार्मिक व्याख्यान कम और ऐसे सूत्र ज्यादा होते हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को सफल बना सकते हैं। Acharya Shri Vidyasagar Maharaj अकेले ऐसे संत है जिनके जीवत रहते हुए उन पर अब तक 55 पीएचडी हो चुकी हैं। Read More… |
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सिरिभूवलय (Siribhoovalaya) — Kumudendu Muniमुनि कुमुदेन्दु गुरु विरचित सर्व भाषामयी अंकाक्षर भाषा काव्य “सिरि भूवलय” (Siribhoovalaya) एक अद्भुत एवं संपूर्ण विश्व में अद्वितीय रचना है। अंकाक्षर भाषा की जटिलता के कारण यह ग्रन्थ पिछले करीब एक हज़ार वर्षों से विलुप्त प्राय रहा। Read More… |
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सम्यग्दर्शनसच्चे देव, सच्चे शास्त्र और सच्चे गुरु का श्रद्धान करना सम्यग्दर्शन है। यह आठ अंग से सहित होता है तथा इन अंगों के उल्टे शंकादि आठ दोष, आठ मद, छह अनायतन और तीन मूढ़ता इन पच्चीस दोषों से रहित होता है। Read More… |
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अष्टद्रव्य (Ashta Dravya) से पूजाभगवान की अष्टद्रव्य से पूजा करते समय चरणों में चंदन लगाना। फूल,फल, दीप, धूप वास्तविक लेना ऐसा विधान है प्रमाण देखिये । Read More…
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Acharya UmaSwami And Tattvarthasutra (तत्त्वार्थसूत्र)Tattvarthasutra ‘‘तत्त्वार्थसूत्र’’ के रचयिता आचार्य उमास्वामी मूलसंघ “Acharya UmaSwami” के चमकते हुए रत्न थे। भगवद् कुन्दकुन्दाचार्य के पश्चात् वही एक ऐसे आचार्य हैं जो प्राचीन और सर्वमान्य हैं। भगवद् कुन्दकुन्द के समान उमास्वामी भी दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही सम्प्रदायों को मान्य हैं। दिगम्बर जैन उनका भगवत् कुन्दकुन्द का वंशज मनाते हैं। Read More… |
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Prathamanuyog — प्रथमानुयोग सार१. गजकुमार मुनि के सिर पर जलती हुई सिगड़ी रखी गई थी।२. पाँचों पांडव मुनियों को लोहे के गर्म आभूषण पहनाये गये थे।३. विष्णु कुमार मुनि ने सात सौ मुनियों का उपसर्ग दूर किया था। Read More…
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