यूनानी शासक सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण ३२७ ई. पू. में किया। वह भारत आकर कुछ राज्यों में विजय प्राप्त करके वापस लौट रहा था, तब उसने तक्षशिला के पास एक उद्यान में बहुत से नग्न जैन मुनियों को तपस्यारत देखा। उसने अपने एक दूत को भेजकर मुनिराजों को बुलवाना…
Month: January 2018
बारह भावना (अनुप्रेक्षा)
बारह भावना (अनुप्रेक्षा) जो श्रावक गृहस्थाश्रम में ही रहते हुए पंच अणुव्रत आदि व्रतों को पालन करते हैं, उनके वैराग्य जागृत करने के लिए चिन्तवन करने योग्य बारह अनुपे्रक्षाएं हैं अथवा वैराग्य उत्पन्न होने के अनन्तर तीर्थंकरों ने भी इन अनुपे्रक्षाओं का चिन्तवन किया है अत: वैराग्य को जन्म देने…
Ridhiyon Ka Varnan
ऋद्धियों का वर्णन तपश्चर्या को करने वाले मुनि अनेक प्रकार की ऋद्धियों के स्वामी हो जाते हैं। ऋद्धियों के आठ१ भेद हैं-बुद्धिऋद्धि, विक्रियाऋद्धि, क्रियाऋद्धि, तपऋद्धि, बलऋद्धि, औषधिऋद्धि, रसऋद्धि और क्षेत्रऋद्धि।बुद्धिऋद्धि के १८, विक्रिया के ११, क्रिया के २, तप के ७, बल के ३, औषधि के ८, रस के ६…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला-9
प्रश्न -पुरुषार्थ के कितने भेद हैं ? उत्तर -४ भेद हैं-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। प्रश्न -हिंसा के कितने भेद होते हैं ? उत्तर -४ भेद होते हैं-संकल्पीहिंसा, आरंभी हिंसा, उद्योगी हिंसा और विरोधी हिंसा। प्रश्न -संकल्पी हिंसा किसे कहते हैं ? उत्तर -अभिप्रायपूर्वक दोइन्द्रिय आदि जीवों को मारना ‘‘संकल्पी हिंसा’’ कहलाती है…
Shravak Ke Aath (8) Mulaguna
श्रावक के ८ मूलगुण श्रावक के ८ मूलगुण होते हैं। इनके अनेक प्रकार हैं— पुरुषार्थसिद्ध्युपाय में श्री अमृतचंदसूरि ने लिखा हैं— मद्यं मांसं क्षौद्रं पञ्चोदुम्बरफलानि यत्नेन। िंहसाव्युपरतिकामैर्मोक्तव्यानि प्रथममेव।।६१।।अन्वयार्थौ — (हिंसाव्युपरतिकामैः) हिंसा त्याग करने की कामना वाले पुरुषों को (प्रथममेव) प्रथम ही (यत्नेन) यत्नपूर्वक (मद्यं) शराब, (मांसं) मांस, (क्षौद्रं) शहद और (पंचोदुम्बरफलानि)…