भक्तामर स्तोत्र (अर्थसहित – सचित्र ) भक्तामर- प्रणत- मौलिमणि – प्रभाणां– मुद्योतकम् – दलितपाप- तमोवितानम्। सम्यक्-प्रणम्य- जिनपाद- युगम्- युगादा- वालम्बनम्-भवजले- पतताम्-जनानाम्॥१॥ अर्थ : झुके हुए भक्त देवो के मुकुट जड़ित मणियों की प्रथा को प्रकाशित करने वाले, पाप रुपी अंधकार के समुह को नष्ट करने वाले, कर्मयुग के प्रारम्भ में संसार…
Month: May 2019
नमिनाथ भगवान का परिचय
परिचय इसी जम्बूद्वीपसम्बन्धी भरतक्षेत्र के वत्स देश में एक कौशाम्बी नाम की नगरी है। उसमें इक्ष्वाकुवंशी ‘पार्थिव’ नाम के राजा रहते थे और उनकी सुंदरी नाम की रानी थी। इन दोनों के सिद्धार्थ नाम का श्रेष्ठ पुत्र था। राजा ने किसी समय सिद्धार्थ पुत्र को राज्यभार देकर जैनेश्वरी दीक्षा ले…