दीक्षा के दो दिन के पश्चात् भगवान Bhagwan Mahaveer प्रथम पारणा के लिए निकले। कूल ग्राम के राजा कूल (अपरनाम वकुल) के यहाँ उनका प्रथम पड़गाहन हुआ। महामुनि को अत्यन्त प्रफुल्लित भाव से राजा एवं रानी ने खीर का आहार प्रदान किया। देवताओं ने महामुनि महावीर के इस प्रथम आहार पर आकाश से रत्न, पुष्प आदि पंचाश्चर्य की वृष्टि की। पुन: महावीर स्वामी Bhagwan Mahaveer मौनपूर्वक विचरण करते हुए सबको जैन मुनि की चर्या से परिचित कराने लगे। दिगम्बर जैन परम्परानुसार तीर्थंकर भगवान दीक्षा के बाद मौन ही रहते हैं, पुन: केवलज्ञान होने पर ही उनकी दिव्यध्वनि खिरती है।
After two days of taking Deeksha, Tirthankar Bhagwan Mahaveer Mahavira went for taking the first Ahar (meals). The king Kool (other name-Vakul) of Kool village had the fortune of giving the first Ahar to Mahamuni Mahavira. He along with his wife gave Kheer (delicious milk food) to Mahamuni with great happiness. Kuber (the deity of wealth) showered five wonderful things like jewels, flowers etc. from the sky at this occasion. According to the Digamber Jain tradition, Tirthankar Bhagwan Mahaveer keep silence after taking Deeksha and His Divya-Dhvani becomes available only after getting Kevalgyan (enlightenment).