३० वर्ष की अवस्था में भगवान (Bhagwan Mahaveer) ने मगशिर कृष्णा दशमी को कुण्डलपुर के निकट मनोहरवन में सालवृक्ष के नीचे पंचमुष्टि केशलोंच करके जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर ली। देवों ने आकर भगवान का दीक्षाकल्याणक महोत्सव मनाया। दो दिन का योग धारण करके महामुनि महावीर अविचल खड़े हो गये। इन्द्र ने उनके पवित्र केशों को ले जाकर क्षीरसागर में विसर्जित कर दिया और प्रतिदिन अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वे किंकररूप में भगवान Bhagwan Mahaveer की सेवा में सदा तत्पर रहने लगे|
At the age of 30 years Bhagwan Mahaveer took Jaineshwari Deeksha below the Sal tree at Manohar forest near Kundalpur on Magshir Krishna Dashmi with performing Panchmushti Keshlonch (fist-plucking of own hairs in 5 times). Deities came and celebrated the Deekshakalyanak Mahotsava of Bhagwan. Mahamuni Mahavira stood up in meditation for 2 days. Indra took away His hairs & consigned them to the water of Ksheer Sagar. He used to attend Bhagwan Mahaveer like a servant daily taking it as his holy duty.