०५. सुमतिनाथ भगवान का परिचय

श्री सुमतिनाथ भगवान

Sumatinatha
पिछले भगवान अभिनंदननाथ
अगले भगवान पद्मप्रभनाथ
चिन्ह चकवा
पिता महाराज मेघरथ
माता महारानी सुमंगला देवी
वंश इक्ष्वाकु
वर्ण क्षत्रिय
अवगाहना 300 धनुष (बारह सौ हाथ)
देहवर्ण तप्त स्वर्ण सदृश
आयु 4,000,000 पूर्व वर्ष (282.24 Quintillion Years Old)
वृक्ष सहेतुक वन एवं प्रियंगुवृक्ष
प्रथम आहार सौमनस नगर के राजा पद्म द्वारा (खीर)
पंचकल्याणक तिथियां
गर्भ श्रावण शु.२
जन्म चैत्र शु. ११
अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
दीक्षा वैशाख शु.९
केवलज्ञान चैत्र शु.११
मोक्ष चैत्र शु.११
सम्मेद शिखर
समवशरण
गणधर श्री अमर आदि ११६
मुनि तीन लाख बीस हजार
गणिनी आर्यिका अनंतमती
आर्यिका तीन लाख तीस हजार
श्रावक तीन लाख
श्राविका पांच लाख
यक्ष तुंबुरू देव
यक्षी पुरुषदत्ता देवी

सुमतिनाथ भगवान का परिचय

परिचय

धातकीखंडद्वीप में मेरूपर्वत से पूर्व की ओर स्थित विदेहक्षेत्र में सीता नदी के उत्तर तट पर पुष्कलावती नाम का देश है। उसकी पुंडरीकिणी नगरी में रतिषेण नाम का राजा था। किसी दिन राजा ने विरक्त होकर अपना राज्य पुत्र को देकर अर्हन्नन्दन जिनेन्द्र के समीप दीक्षा लेकर ग्यारह अंगों का अध्ययन किया और दर्शनविशुद्धि आदि कारणों से तीर्थंकर प्रकृति का बंध करके वैजयन्त विमान में अहमिन्द्र पद प्राप्त किया।

गर्भ और जन्म

वैजयन्त विमान से च्युत होकर वह अहमिन्द्र इसी भरतक्षेत्र के अयोध्यापति मेघरथ की रानी मंगलावती के गर्भ में आया, वह दिन श्रावण शुक्ल द्वितीया का था। तदनन्तर चैत्र माह की शुक्ला एकादशी के दिन माता ने सुमतिनाथ तीर्थंकर को जन्म दिया।

ज्ञान और तप

वैशाख सुदी नवमी के दिन प्रात:काल सहेतुक वन में एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा धारण कर ली।

केवलज्ञान और मोक्ष

छद्मस्थ अवस्था में बीस वर्ष बिताकर सहेतुक वन में प्रियंगु वृक्ष के नीचे चैत्र शुक्ल एकादशी के दिन केवलज्ञान को प्राप्त किया। इनकी सभा में एक सौ सोलह गणधर, तीन लाख बीस हजार मुनि, अनन्तमती आदि तीन लाख तीस हजार आर्यिकाएँ, तीन लाख श्रावक और पाँच लाख श्राविकाएँ थीं। अन्त में भगवान ने सम्मेदाचल पर पहुँचकर एक माह तक प्रतिमायोग से स्थित होकर चैत्र शुक्ला एकादशी के दिन मघा नक्षत्र में शाम के समय निर्वाण प्राप्त किया। सारे पंचकल्याणक महोत्सव आदि पूर्ववत् समझना ।