प्रश्न -लोक के कितने भेद हैं ?
उत्तर -तीन भेद हैं-ऊध्र्वॅलोक, मध्यलोक और अधोलोक।
प्रश्न -मध्यलोक में कितने व्दीप-समुद्र हैं ?
उत्तर -असंख्यात व्दीप-समुद्र हैं।
प्रश्न -प्रथमद्वीप और प्रथम समुद्र का क्या नाम है ?
उत्तर -प्रथमव्दीप का नाम जम्बूव्दीप है और प्रथम समुद्र का नाम लवण-समुद्र है ।
प्रश्न -जम्बूद्वीप में कितने अकृत्रिम चैत्यालय हैं ?
उत्तर -७८ अकृत्रिम चैत्यालय जम्बूव्दीप में हैं। यथा-सुमेरु पर्वत के १६, गजदन्त पर्वतों के ४, जम्बू-शाल्मलीवृक्षों के २, वक्षार पर्वतों के १६, विजयार्ध पर्वत के ३४, कुलाचलों के ६ इस प्रकार १६ + ४ +२+१६ + ३४ +६ =·७८ चैत्यालय जम्बूद्वीप में हैं। जो हस्तिनापुर में निर्मित जम्बूद्वीप रचना में साक्षात् देखे जा सकते हैं।
प्रश्न -ढाईद्वीप कौन-कौन से हैं ?
उत्तर -जम्बूद्वीप, धातकीखण्डद्वीप और आधा पुष्करद्वीप (पुष्करार्ध-द्वीप) ये ढाईद्वीप कहलाते हैं।
प्रश्न -गुणस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -जीवों के उदय, उपशम, क्षय, क्षयोपशम आदि के ध्वारा जो परिणाम होते हैं, उन्हें गुणस्थान कहते हैं।
प्रश्न -गुणस्थान के कितने भेद हैं ?
उत्तर -१४ भेद हैं-मिथ्यात्व, सासादन, मिश्र, अविरत सम्यग्दृष्टि, देशसंयत, प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत, अपूर्वकरण, अनिवृत्ति-करण, सूक्ष्मसाम्पराय, उपशांतमोह, क्षीणमोह, सयोगकेवली और अयोगकेवली।
प्रश्न -सम्यग्दर्शन का क्या लक्षण है ?
उत्तर -जिनेन्द्र भगवान के ध्वारा प्रतिपादित तत्त्व और पदार्थों का श्रद्धान करना सम्यग्दर्शन है ।
प्रश्न -सम्यग्दर्शन के कितने भेद हैं ?
उत्तर -सम्यग्दर्शन के दो भेद हैं-निसर्गज और अधिगमज।
प्रश्न -निसर्गज सम्यग्दर्शन किसे कहते हैं ?
उत्तर -जो सम्यग्दर्शन परोपदेश के बिना जातिस्मरण या जिनबिम्ब दर्शन के ध्वारा उत्पन्न होता है उसे निसर्गज कहते हैं।
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