प्रश्न.१ – आर्जव शब्द की क्या परिभाषा है ?
उत्तर – मन-वचन- काय की सरलता का नाम आर्जव है अथवा मायाचारी का नहीं होना आर्जव है।
प्रश्न.२ – मायाचारी करने से कौन सी गति मिलती है ?
उत्तर – तिर्यंच गति।
प्रश्न.३ – मायाचारी करने में कौन प्रसिद्ध हुए हैं ?
उत्तर – मृदुमति नाम के मुनिराज ।
प्रश्न.४ – मृदुमति मुनि ने क्या मायाचारी की थी ? इसका उन्हें क्या फल मिला ?
उत्तर – गुणनिधि नामक चारणऋद्धिधारी मुनिराज के दुर्गगिरी पर्वत पर चार माह तक योगलीन रहने पर सुर-असुरों ने खूब भक्ति की पुनः उनके चले जाने के बाद मृदुमति मुनि गांव में आहारार्थ गए। तब लोगों ने उन्हें गुणनिधि मुनिराज जानकर उनकी खूब भक्ति की परन्तु मृदुमति मुनि ने उन्हें मायाचारी के कारण सच्चाई नहीं बताई जिसके परिणामस्वरूप कालान्तर में वे त्रिलोकमण्डन नाम के हाथी हो गए।
प्रश्न.५ – दुर्योधन ने पांडवों के साथ क्या मायाचारी की थी ?
उत्तर – दुर्योधन ने पाँडवों को मायाचारी से लाख के महल में भेज दिया पुनः एक लोभी ब्राह्मण को धन देकर उस महल में आग लगवा दी जिसके कारण दुर्योधन आज भी नरक में दुःख भोग रहे हैं।