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णमोकार-मंत्र – ‘णमों अरिहंताणं, णमों सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमों उवज्झायाणं, णमों लोए सव्व साहूँ णं ’ – यह णमोकार मंत्र है । इसका अर्थ है – अर्हन्तों को नमस्कार हो, सिद्धो को नमस्कार हो, आचार्यो को नमस्कार हो, उपाध्यायों को नमस्कार हो और लोक में सर्व साधुओं को नमस्कार हो । यह अनादि-निधन मंत्र है । षट खंडागम ग्रंथ के मंगलाचरण के रुप में आचार्य पुष्पदन्त एवं भूतबलि स्वामी ने ईसा की पहली शताब्दी में इसे प्राकृत भाषा में पहली बार लिपिबद्ध किया ।