1. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ‘ श्री पद्मनाभजी ‘ होंगे। 2. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ‘ श्री सुरदेव जी ‘ होंगे । 3. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला-7
प्रश्न -क्या स्त्रियाँ अपने स्त्री भव से कभी मोक्ष नहीं जा सकती हैं ? उत्तर -नहीं, दिगम्बर जैन सिद्धान्त के अनुसार स्त्रियाँ मोक्ष नहीं जा सकती हैं। प्रश्न -क्या तीर्थंकर की माता भी उस भव से मोक्ष नहीं जाती हैं ? उत्तर -नहीं, क्योंकि सिद्धान्त का नियम तो अटल होता है ।…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला – 6
प्रश्न -लोक के कितने भेद हैं ? उत्तर -तीन भेद हैं-ऊध्र्वॅलोक, मध्यलोक और अधोलोक। प्रश्न -मध्यलोक में कितने व्दीप-समुद्र हैं ? उत्तर -असंख्यात व्दीप-समुद्र हैं। प्रश्न -प्रथमद्वीप और प्रथम समुद्र का क्या नाम है ? उत्तर -प्रथमव्दीप का नाम जम्बूव्दीप है और प्रथम समुद्र का नाम लवण-समुद्र है । प्रश्न -जम्बूद्वीप में कितने…
जैन दर्शन और विज्ञान में आकाश और काल द्रव्य
जैन दर्शन में ६ द्रव्य माने गए हैं— १.जीव, २. पुद्गल, ३. धर्म, ४. अधर्म, ५. आकाश, ६. काल द्रव्य। १.जीव द्रव्य:— जिस हृदय में जानने—देखने की शक्ति एवं ज्ञान, दर्शन चेतना पाई जाती हैं वह जीव द्रव्य कहलाता है। जीव शब्द का अर्थ है, जीने वाला। जीव द्रव्य नित्य…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला – 5
प्रश्न -उपपाद जन्म किस गति के जीवों का होता है ? उत्तर -देवगति और नरकगति में देव और नारकियों का उपपाद जन्म होता है । प्रश्न -जैन साधु देवताओं से आहार क्यों नहीं ले सकते हैं ? उत्तर -क्योंकि देवगण मनुष्यों के समान संयम धारण करने में असमर्थ होते हैं…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला – 4
प्रश्न -बाह्य निमित्त क्या हो सकते हैं ? उत्तर -जिनेन्द्र भगवान का दर्शन, मुनियों का दर्शन, तीर्थवंदना, गुरु उपदेश, जातिस्मरण आदि बाह्य निमित्त हैं जो सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति में कारण माने हैं। प्रश्न -अन्तरंग निमित्त कौन से हैं ? उत्तर -आत्मा में दर्शन मोहनीय कर्म का उपशम, क्षय और क्षयोपशम…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला – 3
प्रश्न -सम्यग्दर्शन की प्राप्ति किन प्राणियों को हो सकती है ? उत्तर -भव्य, संज्ञी, पंचेन्द्रिय और पर्याप्तक जीव ही सम्यग्दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। प्रश्न -भव्य का क्या लक्षण है ? उत्तर -जिनमें मोक्ष जाने की योग्यता विध्यमान है, उन्हें भव्य कहते हैं। प्रश्न -भव्य जीवों की बाह्य पहचान क्या…
गुणस्थान
अध्यात्म विकास के आयाम गुणस्थान और परिणाम गुणस्थान एवं ध्यान गुणस्थान का संबंध गुण से है सहभुवो गुणा[१] साथ में होने वाले गुण है या जिनके द्वारा एक द्रव्य की दूसरे द्रव्य से पृथक् पहचान होती है वह गुण है। गुण्यते पृथक्क्रियते द्रव्यं द्रव्याद्यैस्ते गुणा:।[२] अर्थात् जिसके द्वारा द्रव्य की…
णमोकार महामंत्र एवं चत्तारिमंगल पाठ
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।। चत्तारि मंगलं-अरिहंत मंगलं, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि-अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि। ह्रौं…
जैनधर्म प्रश्नोत्तरमाला – 2
प्रश्न -अनादिनिधन पर्व कौन-कौन से हैं ? उत्तर -सोलहकारण पर्व, दशलक्षण पर्व, आष्टान्हिका पर्व। प्रश्न -हस्तिनापुर से संबंधित कौन-कौन सी ऐतिहासिक घटनाएँ हैं ? उत्तर -१. भगवान ऋषभदेव ने यहाँ प्रथम बार इक्षुरस का आहार लिया था। २. शांति, कुंथु, अरहनाथ इन तीन तीर्थंकरों के चार-चार कल्याणक हुए। ३. कौरवों-पांडवों व्दारा…
सबसे बड़ा जैन ग्रंथ षट्खण्डागम
श्री धरसेनाचार्य जी के शिष्य और श्रुतपरम्परा के प्रवर्तक आचार्य पुष्पदन्त और आचार्य भूतबलि जी मुनिराजों द्वारा ईसा की पहली शताब्दी में षट्खण्डागम ग्रंथ की रचना की गई। इस ग्रंथ के प्रथम पाँच खण्ड अर्थात् जीवस्थान, क्षुद्रकबंध, बंधस्वामित्व, वेदनाखण्ड और वर्गणा खण्ड, इनमें ६००० श्लोकप्रमाण सूत्र हैं। छठवें खण्ड को…
Vardhmana Mahaveer in Constitution of India–भारतीय संविधान में भगवान वर्धमान
भारतीय संविधान की सुलिखित प्रति के ६३वें पृष्ठ पर अंकित जैनों के २४ वे तीर्थंकर वर्धमान—महावीर की तप में लीन मुद्रा का एक चित्र Vardhmana Mahavir, the 24th Tirthankara in a meditative posture, another illustration form the Calligraphed edition of the Constitution of India. Jainism is another stream of spiritual…